Wednesday 13 July 2011

प्रेमिका


मेरा दोस्त कहता है उसके  प्रेमिका
की आँखें बहुत नशीली हैं
मानो झांककर नाप ले उसमें
पूरे समंदर की गहराइयाँ   .

मेरा दोस्त कहता है उसके प्रेमिका
के गाल बहुत कोमल हैं
रुई से भी कोई मुकाबला नहीं
मानो थिरक रही हों हवा के हलके झोंकों पर .

मेरा दोस्त कहता है उसके प्रेमिका
के होंठ गुलाबी हैं
पंखुड़ियों की तरह गुलाब के
मानो सफ़ेद बादल में लाली छा गयी हो .

मेरा दोस्त कहता है  उसके प्रेमिका
की खुशबु बिलकुल अनोखी
कस्तूरी से भी ज्यादा मीठी
और हमेशा बरक़रार रहने वाली .

मेरा दोस्त कहता है उसकी प्रेमिका
कुदरत की एक कलाकारी है
जो युगों युगों में कभी कभी
विरले ही अवतरित होती हैं ज़मीन पर .

मेरी प्रेमिका में वैसा कुछ भी नहीं
सीधी साधी भोली भाली
बिलकुल काले बादलों का रंग
मानों खोदा ने उसे तिरस्कार के मूड में बनाया हो .

लेकिन उसकी चंचलता
उसकी बेबाकी
उसके नखरे
उसका अधिकार जमाने का मेरे ऊपर वो रवैया .

मुझे एहसास दिलाता है
मानो इश्वर ने उसे
मेरे लिए ही बनाया था
तिरस्कार से नहीं बलके बड़े प्यार से .

क्योंकि जानता था वह
रूप से मुझे क्या लेना देना
मैं तो पढ़ लेता हूँ मन को
वह मेरे मन की है और मैं उसके मन का .


मंसूर 

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